सुशासन की अवधारणा है “जनता को बिना लिए-दिए समय पर बिना किसी असुविधा के लोक-सेवाएँ प्रदान करना।” इस अवधारणा को मध्यप्रदेश में मूर्तरूप दिया गया है। वर्ष 2010 में सुशासन के क्षेत्र में ऐतिहासिक पहल करते हुए लोक सेवा गारंटी कानून को मध्यप्रदेश में लागू किया गया। प्रदेश में इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन और आधुनिक तकनीकी के भरपूर उपयोग से कम से कम समय में सुगमता के साथ जनता को लोक-सेवाएँ प्रदान की जा रही हैं। सीएम जन-सेवा योजना से जनता को उनके मोबाइल फोन पर ही खसरे की नकल जैसी सुविधाएँ तथा लोक सेवा गारंटी अधिनियम अंतर्गत कुछ सेवाओं के लिये “डीम्ड सेवा प्रदाय” का प्रावधान क्रांतिकारी कदम हैं।
वर्तमान में लोक सेवा गारंटी कानून में जनता को कुल 560 सेवाएँ सफलतापूर्वक दी जा रही हैं। इस कानून की एक विशेषता यह है कि समय-सीमा में आवेदन का निराकरण न करने पर जिम्मेदार अधिकारी के विरुद्ध अर्थ-दण्ड का प्रावधान है। राजस्व प्रशासन में लोकोन्मुखी सेवाओं की संख्या अधिक होने से यह विभाग नवाचारों का केन्द्र-बिन्दु रहा है। इन नवाचारों की प्रमुख विशेषताएँ हैं जनता के हित में कानूनों, नियमों एवं प्रक्रियाओं में संशोधन एवं उनका सरलीकरण, आधुनिक तकनीकी का प्रभावी प्रयोग, लैण्ड रिकार्ड मॉर्डनाइजेशन जैसे कार्यक्रमों से अभिलेखों का डिजिटाइजेशन और कॉल-सेंटर, मोबाइल जैसे सेवा प्रदाय के साधनों का प्रयोग।